तू पूछ अपने दिल से
वो जानता है तेरी मंज़िल
जगा ले अपने भीतर की आग
छूने मे उसे तू है काबिल !
तू पता कर उस पते का,
इंतेज़ार है जग को तेरी फ़तह का
थक कर हार मत जाना तू,
मुसाफिर बन तू अपनी मंज़िल का!
वो जानता है तेरी मंज़िल
जगा ले अपने भीतर की आग
छूने मे उसे तू है काबिल !
तू पता कर उस पते का,
इंतेज़ार है जग को तेरी फ़तह का
थक कर हार मत जाना तू,
मुसाफिर बन तू अपनी मंज़िल का!