लफंगे परिंदे भर रहे एक उड़ान,
आसमान में पर मारती वो नन्ही सी जान,
लेकर अपनी सारी शक्ति, भर रही उसमे अपना मान,
किसी एक पेड़ पर बना रही अपना मनोहर सा बागबान!
लव आज कल का कोई नहीं है हल,
कहा है इसमें सबर का फल,
दो-चार कदम कहा पाए ये चल,
इसमें छुपा मीठा सा एक अजनबी छल !
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