Thursday, September 1, 2011

जीवन के पल!

लम्हा लम्हा जीवन की गठरी बन रही,
यादों का एक अक्स बना रही,
समय के पहिये के साथ साथ चल रही,
नया सफ़र प्रत्येक दिन तय कर रही|

जीवन और कश्ती में नहीं कोई अंतर,
कठीन लहरों का सामना कर रहे निरंतर,
बड रहे आगे लेकर एक अपेक्षा,
कोशिश एक आशा, कोशिश एक आशा!

सपना है एक पलकों में, लम्हे कट रहे इंतज़ार में,
आखों में समाया राजा के एक तक्त,
कुछ और ही बता रही हथेली की हकीकत,
चल रहा जीवन, काट रहा इसी का वक़्त,
कभी लगता है यह है नरम, लेकिन कभी हो जाता ये सख्त!