Friday, November 4, 2016

तू पूछ अपने दिल से
वो जानता है तेरी मंज़िल
जगा ले अपने भीतर की आग
छूने मे उसे तू है काबिल !

तू पता कर उस पते का,
इंतेज़ार है जग को तेरी फ़तह का
थक कर हार मत जाना तू,
मुसाफिर बन तू अपनी मंज़िल का!



Friday, October 28, 2016

तुज़से क्या मैं खुशी मांगू, तू खुद ही एक खुशी हैं,
मेरे प्यार की और उसकी अनोखी रुची है,
सावला सा तेरा ये ढंग, मस्त मलंगी बेख़ुबी है,
इज़हार ये करता हू, दिल की तू  गुनगुनी है|

जीने की मेरी चाहत,
तेरे साथ में है रूह की राहत,
मीठी सी वो तेरी गाल बात,
दिन बन जाता, पकड़कर तेरा हाथ|

रब से कुछ नही माँगता,
तेरे नैनो मेरा प्यार,
तेरे लफ़ज़ो मे इकरार,
और इस ज़िंदगी का उपहार|

हुए आजके कवि के समाचार!