Tuesday, August 21, 2012

पल पल अनोखा यह प्यारा समा,
खयालो में खोया यह मन कहा,
परिंदों की तरह भर रहा उड़ान,
ले जाये शीतल हवा अब जहा जहा ।

बहारा बहारा यह नील गगन,
समुन्दर की लहरों में हुआ यु मगन,
ले जा कही दूर, कह रहा मेरा मन,
प्रकृति से करवादे मेरा तू लगन।


Friday, August 17, 2012

ओ-खुदा तू आज याद आया!


गम के बादल में क्यों ऐसे घिरा,
खुदा की नज़रों में यु गिरा,
ओ - खुदा - ओ - खुदा, तू आज याद आया,
खुद से जो मैं परेशां, चाहता हु तेरा साया!

सासे चल रही, महसूस नहीं होता कुछ हैं पाया,
ढलते सूरज की यह है माया,
जीवन से मांग रहे जीने का किराया,
ओ - खुदा - ओ - खुदा, तू आज याद आया,
खुद से जो मैं परेशां, चाहता हु तेरा साया!

Friday, August 10, 2012

ज़िन्दगी के ढंग, इस तरह बदल रहे रंग,
मानो बना रहा एक नया रास्ता, नये समय के संग,
भविष्य की कल्पना कर रहा यह विचलित मन,
ना जाने क्या सोच रहा प्रत्येक शंण !