Wednesday, September 11, 2013

ज़िन्दगी चले विशवास पर,
किसी के प्यार के आहार पर,
उसके होने के इकरार पर,
मन की कुशलता के संहार पर,
ज़िन्दगी चले विशवास पर, ज़िन्दगी चले विशवास पर!

कामना करो चाहे हज़ार,
हो जाओ कही भी जाके फरार,
एक पल का सभी को है इन्तेज़ार,
पाले थोडा सा वो दुनिया का प्यार।

हासिल करने से सब कुछ है मिलता,
बंजर ज़मीन पर कभी फूल नहीं खिलता,
कोशिश की आशा से क्या नहीं होता,
ढलता सूरज उसी गगन में फिर से हैं उगता । 

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