Thursday, August 4, 2011

कल के खयाल में खो रहे आज का पल!

कल के खयाल में खो रहे आज का पल,

किसी अनजानी राह पर अब रहे थे चल,

हर समस्या का धीरज से निकल पायेगा हल,

लड़ने की रखो तुम क्षमता कभी न खोकर अपना बल |



कल के खयाल में खो रहे आज का पल,

माँ-भाई से होती सिर्फ पांच मिनट की गल,

समय की इस दौड़ में घर से आये निकल,

भूल गए थे कब देखा था पुराने दोस्तों की शकल |



कल के खयाल में खो रहे आज का पल,

निकल जाते थे जब खाने किसी भी सड़क या होटल,

आ जाता आखों के समक्ष पुरानी यादों का दलदल,

लगता साला कितनी तेज़ी से समय रहा बदल |

1 comment:

  1. बहुत ही अच्छा लिखा है Keep it going
    अच्छा लगा की आज की परिस्थितियों में भी लोग हिंदी में लिख रहे हैं नहीं तो आज कल हिंदी केवल गरीबों की भाषा बन कर रहा गयी है,

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